पानी की कहानी
बचपन में सोचते थे सिर्फ प्यास बुझाता पानी जब समझ के साथ आई जवानी तब समझने लगे हैं पानी की कहानी वो गीले बालों का पानी वो मखमली से गालो पर पानी एक होश भूलाता पानी एक दिल जलाता पानी गालों से लबों पर बहता पानी तूम चुप रहो है सब कुछ कहता पानी तेरी गर्दन पर खिलखिलाता पानी मेरे मन में छटपटाता पानी मेरी सांसो का अटकता पानी पसंद नहीं बस तेरी आंखो का पानी कहीं उलझन में कहीं सुलझन में पर चीखती बहुत है पानी की कहानी मुट्ठी में जो आए ना किसी की किस्मत पानी मेरी जेब है खाली कैसे घर जाऊं मैं क्या बच्चों को बस पिलाऊँ पानी गरीब के मटको में पीने को नहीं है जनाब के घर गड्डों में नहाने को इतना पानी वो डराते हैं जमीं घट रही है समुद्रों का बढ़ता पानी समझ से परे है फिर भी क्यों बोतलों में बिकता पानी किसी को नीला किसी को काला पानी सबकी अपनी-अपनी पानी की कहानी तपती धूप में किसी बदन पर आया पानी निहारते जालिमों के मुंह में आया पानी देखा,पकड़ा,खींचा उनकी प्यास बुझा गया पानी लेकिन जिंदगी किसी की अब हो गई है पानी-पानी ओ बेशर्म ओ बेहया तुझे डुबने को ना मिला पानी लोग कहते हैं आग बुझाता लेकिन मैंने आग लगा